जीवन के रंग और धर्म की धारा: क्या धर्म बदल सकता है?
साधक,
जीवन के विभिन्न पड़ावों पर जब हम अपने धर्म और कर्तव्य के बारे में सोचते हैं, तो मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है — क्या हमारा धर्म एक जैसा रहता है या समय के साथ बदलता है? यह उलझन स्वाभाविक है, क्योंकि जीवन की राहें विविध हैं, और हर चरण की मांगें भी अलग होती हैं। आइए, भगवद्गीता की अमृत वाणी से इस प्रश्न का उत्तर ढूंढते हैं।