grounding

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

भविष्य की अनिश्चितता में स्थिरता की खोज
साधक, जीवन के इस मोड़ पर जब भविष्य धुंधला और अनिश्चित नजर आता है, तब तुम्हारा मन बेचैन होना स्वाभाविक है। यह समझो कि तुम अकेले नहीं हो; हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब राह अस्पष्ट लगती है। इस समय तुम्हें अपने भीतर की गहराई से जुड़ना होगा और उस अनंत शांति को खोजना होगा जो तुम्हारे भीतर सदैव विद्यमान है।

सफलता के संग स्थिरता: जमीन से जुड़े रहने का मंत्र
साधक, जब हम जीवन में सफलता की ऊँचाइयों को छूते हैं, तो मन अक्सर उड़ने लगता है, अहंकार बढ़ता है और असलियत से दूरी बन जाती है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि सफलता हमें नई पहचान और सम्मान देती है। लेकिन क्या यही सब कुछ है? क्या सफलता के साथ हम अपनी जड़ें भी मजबूत रख सकते हैं? आइए, भगवद गीता की अमूल्य शिक्षाओं से इस प्रश्न का उत्तर खोजें।

परिवार की उथल-पुथल में भी शांति का दीपक जलाए रखना
साधक, जब परिवार के बीच तूफान छा जाता है, तब मन की हलचल और भावनाओं का समुद्र उफान पर होता है। ऐसे समय में आध्यात्मिक स्थिरता एक मजबूत डोरी की तरह होती है, जो हमें बिखरने से बचाती है। तुम अकेले नहीं हो। हर परिवार में कभी न कभी संघर्ष आता है, पर गीता हमें सिखाती है कि हम अपने भीतर की शांति को कैसे बनाये रखें, चाहे बाहर कितनी भी उथल-पुथल क्यों न हो।

जीवन के तूफानों में स्थिरता का दीपक जलाएं
साधक, जब जीवन का मार्ग धुंधला और निरर्थक लगे, तो समझो कि यह भी एक क्षणिक बादल है। हर अंधेरा सूरज की किरणों का इंतजार करता है। तुम अकेले नहीं हो—हर जीव इसी यात्रा में कभी न कभी खोया है। चलो, भगवद गीता के अमृत शब्दों से अपने मन को स्थिर करने का मार्ग खोजें।