सेवा ही सच्चा धर्म है — चलो इस राह पर साथ चलें
साधक,
तुम्हारा मन इस प्रश्न से उलझा है कि क्या दूसरों की सेवा ही तुम्हारा धर्म हो सकता है। यह एक बहुत ही सुंदर और गहन प्रश्न है। जीवन में धर्म का अर्थ केवल नियम-कायदे नहीं, बल्कि वह मार्ग है जो हमें अपने और संसार के कल्याण की ओर ले जाता है। सेवा, प्रेम और समर्पण का भाव हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है। चलो, गीता के प्रकाश में इस सवाल का उत्तर तलाशते हैं।