self-trust

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

फिर से खुद पर भरोसा: नई शुरुआत की ओर एक कदम
साधक,
सालों की बुरी आदतें हमारे मन-मस्तिष्क में गहरी जड़ें जमा लेती हैं, और उनसे उबरना कभी-कभी असंभव सा लगता है। लेकिन जान लो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के जीवन में ऐसी चुनौतियाँ आती हैं, और हर बार फिर से खुद पर विश्वास करना संभव है। यह विश्वास तुम्हारे भीतर ही छुपा है, बस उसे जगाने की देर है।

अपने भीतर की आवाज़ को सुनना — शांति की पहली सीढ़ी
साधक, जब मन के भीतर अनगिनत विचारों का शोर होता है, तो अपनी सच्ची आवाज़ को सुनना एक चुनौती लगता है। यह ठीक वैसा है जैसे तूफानी समुंदर में किनारे की हल्की लहरों की आवाज़ को सुनना। पर याद रखो, तुम्हारे भीतर एक शांत महासागर है, जहां से तुम्हारी सच्ची आवाज़ आती है। आइए, हम गीता के प्रकाश में इस रहस्य को समझें।

अनजाने पथ पर कदम: जब राह हो असामान्य, तो विश्वास कैसे कायम रखें?
साधक,
जब जीवन में हम सामान्य से हटकर, भीड़ से अलग कोई राह चुनते हैं, तब मन में अनिश्चितता, संदेह और भय उत्पन्न होना स्वाभाविक है। यह पथ कठिन हो सकता है, पर याद रखो, असली विजय उसी की होती है जो अपने भीतर की आवाज़ पर भरोसा करता है। तुम अकेले नहीं हो, हर महान यात्रा की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है, और उस कदम के पीछे विश्वास का दीपक जलता है।