emotional control

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

शांति की ओर पहला कदम: भावनात्मक बहसों में स्वयं को स्थिर रखना
साधक, जब जीवन के सबसे करीब के रिश्तों में, जैसे विवाह और पालन-पोषण में, भावनात्मक बहसें होती हैं, तब हमारा मन अक्सर उग्र और अस्थिर हो जाता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हमारे दिल जुड़े होते हैं। परन्तु, यही वह समय होता है जब हमें अपने भीतर की शांति खोजनी होती है। तुम अकेले नहीं हो, हर व्यक्ति को यह चुनौती आती है। चलो मिलकर गीता के अमृत वचनों से इस उलझन का समाधान खोजते हैं।

भावनाओं की लहरों में स्थिर रहना — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब बाहर की दुनिया के तूफान हमारे मन के समुद्र में उठते हैं, तब संतुलन बनाए रखना कठिन लगता है। यह स्वाभाविक है कि जब लोग हमें भावनात्मक रूप से उत्तेजित करते हैं, तो हमारी आंतरिक शांति पर संकट आता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर आत्मा इस संघर्ष से गुजरती है। आइए, गीता के शाश्वत प्रकाश से हम इस उलझन का समाधान खोजें।