चलो यहाँ से शुरू करें: चीजों को व्यक्तिगत रूप से लेना छोड़ना
साधक,
जब हम हर घटना, हर शब्द, हर प्रतिक्रिया को अपने ऊपर लेते हैं, तो मन भारी और बेचैन हो जाता है। यह सोच कि "यह मेरे खिलाफ है" या "यह मेरी कमी है" हमें अंदर से कमजोर कर देती है। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; यह एक सामान्य मानवीय अनुभव है। आइए, गीता के अमृत श्लोकों से इस समस्या का समाधान खोजें।