अकेलेपन से जुड़ी निर्भरता को तोड़ना — अपनी आत्मा से जुड़ने का पहला कदम
साधक, जब हम दूसरों पर अपनी भावनाओं का बोझ डालने लगते हैं, तो हमारा मन अक्सर बेचैन और असुरक्षित हो जाता है। यह निर्भरता हमें भीतर से कमजोर कर देती है, जैसे कोई पतझड़ में सूखे पत्ते की तरह। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर कोई इस जाल में फंसा है, और भगवद गीता ने हमें उस जाल से बाहर निकलने का मार्ग दिखाया है।