भरोसे की नींव: माइक्रोमैनेजिंग से आज़ादी की ओर
साधक, जब हम नेतृत्व की भूमिका में होते हैं, तो दिल में एक गहरी चिंता होती है — "क्या सब ठीक से हो रहा है?" यह चिंता कभी-कभी हमें इतना घेर लेती है कि हम दूसरों की जिम्मेदारियों में घुसपैठ करने लगते हैं, जिसे माइक्रोमैनेजिंग कहते हैं। लेकिन क्या यह सच में नेतृत्व है? आइए भगवद्गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाएं।