बीते कल की छाया से आज की रोशनी की ओर
मेरे साधक, जब हम अपने अतीत की गलतियों को याद करते हैं, तो मन अक्सर पछतावे और दुख के घेरे में घिर जाता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हम चाहते हैं कि समय को पीछे ले जाकर सब कुछ सही कर सकें। परंतु भगवद् गीता हमें सिखाती है कि अतीत को लेकर निराशा में डूबना जीवन का उद्देश्य नहीं। चलिए, इस गहन प्रश्न पर गीता के प्रकाश में विचार करते हैं।