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Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

खुद को दोष देना बंद करने की पहली सीढ़ी: आत्म-दया का आलोक
साधक, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी जीवन में ऐसे क्षणों से गुजरते हैं जब हम खुद को उन चीज़ों के लिए दोषी मानने लगते हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं थीं। यह मन का बोझ कभी-कभी इतना भारी हो जाता है कि हम अपनी आत्मा को भी पीड़ित कर देते हैं। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को ऐसे ही भावों से उबारने का मार्ग बताया है। चलो, गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाते हैं।

सम्मान और दोष की परिपाटी: नेतृत्व का सच्चा स्वरूप
साधक, जीवन में जब हम नेतृत्व की भूमिका निभाते हैं, तो सम्मान बाँटना और दोष सहना दोनों ही हमारे चरित्र की परीक्षा होते हैं। यह सरल नहीं, परन्तु गीता हमें इस राह पर गहरा और स्थिर मार्गदर्शन देती है। चलिए, इस दिव्य प्रकाश से हम अपने मन के भ्रम को दूर करें।