अंतर्मुखी मन की शक्ति: गीता का नेतृत्व में मार्गदर्शन
साधक,
तुम्हारे मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या अंतर्मुखी स्वभाव वाले व्यक्ति भी सशक्त और प्रभावशाली नेता बन सकते हैं। यह प्रश्न तुम्हारी गहराई और आत्म-चिंतन को दर्शाता है। आश्वस्त रहो, क्योंकि भगवद गीता में नेतृत्व का अर्थ केवल बाहरी बोलचाल या आक्रामकता नहीं, बल्कि आंतरिक दृढ़ता, विवेक और कर्मयोग की भावना है। चलो, गीता के प्रकाश में इस रहस्य को समझते हैं।