divine

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

अंधकार में दीपक: दुख के समय दिव्य इच्छा के प्रति समर्पण का सहारा
साधक, जब जीवन में दुख की घटाएँ घिरती हैं, तब मन बेचैन, असहाय और भ्रमित हो जाता है। तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है — कैसे हम अपने दुःख के समय में उस दिव्य इच्छा के प्रति समर्पित रह सकते हैं जो हमें अंततः शांति और शक्ति देती है। आइए, गीता के अमृत शब्दों से इस उलझन को सुलझाते हैं।

जब जीवन में दर्द छाए — दिव्य इच्छा पर भरोसे की पहली किरण
प्रिय शिष्य,
जब हम जीवन के कठिन क्षणों से गुजरते हैं, तब हमारे मन में एक गहरा सवाल उठता है—"क्या सच में कोई दिव्य इच्छा है जो मेरे इस दर्द को देख रही है? क्या मैं इस अंधकार में भी भरोसा रख सकता हूँ?" यह सवाल बहुत मानवीय है। मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि तुम अकेले नहीं हो। हर एक मानव के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब सब कुछ टूटता सा लगता है। लेकिन इसी टूटन के भीतर एक नई आशा छिपी होती है।

surrender की शक्ति: जब हम खुद को छोड़कर ईश्वरों के चरणों में समर्पित होते हैं
साधक, जीवन की उलझनों में जब मन थक जाता है, जब हम अपने नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों से जूझते हैं, तब ईश्वरों को समर्पण करने की प्रेरणा हमें भीतर से एक अनोखा शांति और शक्ति देती है। गीता हमें यही सिखाती है — कि अपने अहंकार और इच्छाओं को छोड़कर, एक उच्चतर शक्ति के भरोसे खुद को सौंप देना, जीवन को सरल और सार्थक बना देता है।

जब कष्ट छाए, तब कृष्ण की छाया में चलें
साधक, जब जीवन में अंधकार घिर आता है, जब मन भारी होता है और आशा की किरण दूर लगती है, तब तुम्हारा कृष्ण से जुड़ना सबसे बड़ी शक्ति बन सकता है। यह जुड़ाव किसी दूर की बात नहीं, बल्कि तुम्हारे भीतर की उस आवाज़ को सुनने जैसा है जो तुम्हें सहारा देती है। चलो, इस पवित्र यात्रा में मैं तुम्हें गीता के अमृत श्लोकों से मार्ग दिखाता हूँ।

कृष्ण के प्रेम में पहला कदम: एक आत्मीय संवाद की शुरुआत
साधक,
तुम्हारे हृदय में जो यह प्रश्न उठ रहा है — "कृष्ण के साथ संबंध कैसे बनाएं?" — वह तुम्हारे आध्यात्मिक जागरण का पहला संकेत है। यह एक सुंदर यात्रा की शुरुआत है, जिसमें तुम्हारा मन और आत्मा दोनों मिलकर एक दिव्य बंधन की ओर बढ़ेंगे। याद रखो, यह संबंध केवल देख-देख या सुन-सुन का नहीं, बल्कि अनुभव, समर्पण और विश्वास का है। तुम अकेले नहीं हो, हर भक्त ने इसी सवाल से अपने अंदर की दुनिया को खोजा है।

🕉️ शाश्वत श्लोक: भगवद्गीता 9.22

सङ्कल्प: