आत्मा का अनुभव: उस अनंत स्वरूप से मिलन
साधक के खोजी, तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा और सार्थक है। शरीर और मन की सीमाओं को पार कर उस शाश्वत आत्मा का अनुभव करना, जो तुम्हारा वास्तविक स्वरूप है, एक दिव्य यात्रा है। चलो, हम इस यात्रा की शुरुआत गीता के अमृत श्लोक से करते हैं।