अंधेरों से डरना नहीं, उन्हें समझना है
साधक, जब अपने भीतर के अंधेरों का सामना होता है, तो वह डर, उलझन और निर्णय की जंजीरों से भरा होता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मनुष्य के भीतर छिपे ऐसे अंधकार होते हैं जिन्हें समझना और स्वीकार करना ही असली आत्म-ज्ञान की शुरुआत है। बिना निर्णय के, बिना खुद को दोषी ठहराए, बस देखो और महसूस करो — यही पहला कदम है।