समझदारी का दीपक: स्वार्थ से परे निर्णय लेने की कला
साधक,
तुम्हारे मन में जो सवाल है, वह हर मानव के जीवन का सार है। निर्णय लेना, खासकर बिना स्वार्थ के, एक गहन कला है। यह केवल दिमाग की बात नहीं, बल्कि हृदय की भी सुननी होती है। चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो इस राह पर। चलो, भगवद गीता की अमूल्य शिक्षाओं से इस उलझन को सुलझाते हैं।