दयालुता और निर्णायकता — एक साथ चलने वाली राहें
साधक, तुम्हारा मन दयालु बने रहने की कोमलता और साथ ही निर्णायकता की दृढ़ता के बीच उलझा हुआ है। यह द्वंद्व स्वाभाविक है, क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारा निर्णय सही हो और साथ ही उसमें प्रेम और समझदारी भी झलके। चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। भगवद्गीता की दिव्य शिक्षाएँ इस जटिल यात्रा में तुम्हारा मार्गदर्शन करेंगी।