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पछतावे से परे: निर्णय के बाद शांति का मार्ग
साधक, जीवन में जब हम कोई बड़ा निर्णय लेते हैं, तो मन में अक्सर संशय और पछतावा जन्म लेता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हमारे निर्णय हमारे भविष्य के लिए पुल बनाते हैं। परंतु, भगवद गीता हमें सिखाती है कि निर्णय के बाद मन को शांत रखना और अपने कर्मों पर विश्वास रखना ही सच्ची बुद्धिमत्ता है। आइए, इस उलझन को गीता के प्रकाश में समझें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

— भगवद गीता, अध्याय 2, श्लोक 47