नया मोड़, नई शुरुआत: पुराने रिश्तों की उलझनों से निकलने का रास्ता
साधक, जब हम जीवन के नए पड़ाव पर कदम रखते हैं, तब पुराने रिश्तों में कभी-कभी वह सहजता और अपनापन नहीं रहता जैसा पहले था। यह अनुभूति बहुत सामान्य है, लेकिन यह भी सच है कि इन बदलावों के बीच भी हम अपने भीतर की शांति और संतुलन पा सकते हैं। तुम अकेले नहीं हो, हर किसी की ज़िंदगी में ऐसे पल आते हैं जब पुराने रिश्ते जैसे फिट नहीं बैठते। चलो, भगवद गीता की अमृत वाणी से इस उलझन का हल खोजते हैं।