सच की ओर एक साहसिक कदम: नाटक छोड़ो, अपने भीतर झांको
साधक, जब तुम्हारे भीतर अँधेरा छाया हो, और तुम ठीक न लगो, तो ठीक होने का नाटक करना स्वाभाविक लगता है। पर यह नाटक तुम्हें और भी थकावट और अकेलापन दे सकता है। चलो, इस सफर में हम साथ हैं, तुम्हारे अंदर की उस सच्चाई से मिलने के लिए जो तुम्हें सच्चा आराम और शांति देगी।