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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

🌅 नया सूरज, नया सवेरा — जीवन के परिवर्तन में तुम्हारा साथ
साधक, जीवन के ये पल जब सब कुछ बदल जाता है, तब भीतर एक खालीपन और असमंजस की छाया छा जाती है। हानि या तलाक के बाद तुम्हारा मन टूटता है, आशाएँ धुंधली लगती हैं। मैं जानता हूँ, ये समय कितना कठिन है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर परिवर्तन के पीछे एक नई शुरुआत छुपी होती है। चलो, गीता के अमृतवचन से इस यात्रा को आसान बनाते हैं।

चलो यहां से शुरू करें: "मैं क्या चाहता हूँ?" की उलझन में साथ
प्रिय मित्र, जीवन के उस मोड़ पर होना जब हम खुद से पूछते हैं — "मैं क्या चाहता हूँ?" — एक सामान्य, परंतु गहरा सवाल है। यह भ्रम, यह अनिश्चितता, असल में आपके भीतर एक नई शुरुआत की तैयारी है। यह जान लें कि आप अकेले नहीं हैं, हर महान यात्रा की शुरुआत इसी सवाल से होती है।

जीवन के अंतिम क्षण: मृत्यु के पार भी एक नई शुरुआत है
साधक, जब जीवन की डगर अंतिम पड़ाव पर पहुंचती है, तब मन में अनेक प्रश्न और आशंकाएँ जन्म लेती हैं। मृत्यु का क्षण ऐसा नहीं है जहाँ सब कुछ समाप्त हो जाए, बल्कि यह एक नयी यात्रा का आरंभ होता है। भगवद गीता में इस विषय पर गहन और शाश्वत ज्ञान दिया गया है, जो हमारे भय और अनिश्चितताओं को दूर कर सकता है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।"

(अध्याय 18, श्लोक 78)

🌿 बदलाव का डर: तुम अकेले नहीं हो, यह जीवन का हिस्सा है
साधक, बदलाव से डरना स्वाभाविक है। जब कोई नया रास्ता सामने आता है, तो मन असुरक्षा और अनिश्चितता की भावना से घिर जाता है। परन्तु जान लो, यही बदलाव हमें जीवन की ऊँचाइयों तक ले जाते हैं। भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने हमें बताया है कि जीवन में स्थिरता नहीं, परिवर्तन ही सत्य है। आइए, इस भय को समझें और उसे पार करें।