साथ तो है, पर राहें अलग हैं – जब जीवनसाथी न समझे आध्यात्मिकता
प्रिय मित्र, यह स्थिति आपकी आत्मा को भीतर से झकझोर सकती है। जब वह जिसे हम सबसे करीब मानते हैं, हमारे आध्यात्मिक मूल्यों को न समझे या स्वीकार न करे, तो मन में अकेलापन, निराशा और सवाल उठते हैं। पर याद रखिए, आप अकेले नहीं हैं। हर रिश्ते में समझ और असहमति का संगम होता है। चलिए, गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाते हैं।