जीवन के अंतिम सफर में आत्मा का सहारा बनें
साधक, जब हमारे बुजुर्ग जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुँचते हैं, तब उनके मन में अनेक भाव, भय और प्रश्न उभरते हैं। यह समय न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवार और समाज के लिए भी गहन संवेदनशीलता और प्रेम की मांग करता है। इस कठिन घड़ी में आध्यात्मिक सहारा देना, उनके मन को शांति और आत्मा को मुक्त करने का सबसे बड़ा उपहार है। आइए, भगवद गीता के अमृत वचनों से इस मार्ग को समझें और अपनाएं।