जीवन के अंतिम क्षण: मृत्यु के पार भी एक नई शुरुआत है
साधक, जब जीवन की डगर अंतिम पड़ाव पर पहुंचती है, तब मन में अनेक प्रश्न और आशंकाएँ जन्म लेती हैं। मृत्यु का क्षण ऐसा नहीं है जहाँ सब कुछ समाप्त हो जाए, बल्कि यह एक नयी यात्रा का आरंभ होता है। भगवद गीता में इस विषय पर गहन और शाश्वत ज्ञान दिया गया है, जो हमारे भय और अनिश्चितताओं को दूर कर सकता है।
🕉️ शाश्वत श्लोक
"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।"
(अध्याय 18, श्लोक 78)