जीवन का अंतिम अध्याय: मृत्यु और अनुष्ठान के प्रति गीता का दृष्टिकोण
साधक, जब हम जीवन के उस अंतिम पड़ाव पर खड़े होते हैं, जहां मृत्यु और उसके बाद की अनुष्ठानों की बात आती है, तब मन में अनगिनत सवाल उठते हैं। क्या मृत्यु अंत है? क्या अनुष्ठान केवल परंपरा हैं या उनका कोई गहरा अर्थ है? गीता हमें इस रहस्य को समझने का एक दिव्य प्रकाश प्रदान करती है। चलिए, मिलकर इस ज्ञान की ओर कदम बढ़ाते हैं।