अंधकार में दीपक: दुख के समय दिव्य इच्छा के प्रति समर्पण का सहारा
साधक, जब जीवन में दुख की घटाएँ घिरती हैं, तब मन बेचैन, असहाय और भ्रमित हो जाता है। तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है — कैसे हम अपने दुःख के समय में उस दिव्य इच्छा के प्रति समर्पित रह सकते हैं जो हमें अंततः शांति और शक्ति देती है। आइए, गीता के अमृत शब्दों से इस उलझन को सुलझाते हैं।