resentment

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ईर्ष्या और द्वेष के सागर में एक दीपक की लौ
साधक, जब मन में ईर्ष्या और द्वेष की लहरें उठती हैं, तब आत्मा की शांति खो जाती है। यह भाव हमें भीतर से कमजोर कर देते हैं, और हमारा जीवन विषम हो जाता है। परन्तु भगवद गीता में ऐसे अमृतमयी उपदेश हैं, जो हमें इन विषैले भावों से मुक्त कर, प्रेम और समरसता की ओर ले जाते हैं। आइए, इस मार्ग पर चलें।

क्रोध और द्वेष से मुक्त हो, शांति की ओर बढ़ो
प्रिय शिष्य, जीवन में क्रोध और द्वेष की आग अक्सर हमारे मन को जलाती है, हमें अशांत करती है और हमारे संबंधों को बिगाड़ती है। यह समझना जरूरी है कि ये भाव हमारे भीतर के स्नेह और शांति के मार्ग में बाधा हैं। तुम अकेले नहीं हो इस लड़ाई में। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने इस विषय पर जो अमूल्य ज्ञान दिया है, वह तुम्हारे मन के तूफान को शान्त कर सकता है।