ईर्ष्या और द्वेष के सागर में एक दीपक की लौ
साधक, जब मन में ईर्ष्या और द्वेष की लहरें उठती हैं, तब आत्मा की शांति खो जाती है। यह भाव हमें भीतर से कमजोर कर देते हैं, और हमारा जीवन विषम हो जाता है। परन्तु भगवद गीता में ऐसे अमृतमयी उपदेश हैं, जो हमें इन विषैले भावों से मुक्त कर, प्रेम और समरसता की ओर ले जाते हैं। आइए, इस मार्ग पर चलें।