शांति से न घबराओ, वह तुम्हारा सच्चा मित्र है
साधक, यह बहुत स्वाभाविक है कि जब हम अपने भीतर की गहरी चुप्पी और शांति से मिलते हैं, तो कुछ भय और असहजता महसूस करते हैं। क्योंकि शांति वह दर्पण है जो हमारे अंदर छिपे अनसुलझे सवाल, भावनाएँ और डर सामने लाती है। लेकिन याद रखो, यही चुप्पी तुम्हें अपने असली स्वरूप से मिलवाने का माध्यम है।