दिल की सफाई: शुद्धि की ओर पहला कदम
साधक,
जब मन के भीतर भारीपन हो, जब अपराधबोध और पछतावा दिल को बोझिल कर दें, तब यही समय है अपने भीतर की गंदगी को धोने का। तुम अकेले नहीं हो—हर मानव के हृदय में कभी न कभी ये उलझन आती है। चलो, गीता के अमृत शब्दों से इस सफर की शुरुआत करते हैं।