shame

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

शर्मिंदगी के साए से निकलकर आत्मविश्वास की ओर
साधक, जब अतीत के काले बादल हमारे मन पर छा जाते हैं, तो यह स्वाभाविक है कि हम शर्मिंदगी और अपराधबोध के बोझ तले दब जाते हैं। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मानव के जीवन में कुछ न कुछ गलतियाँ होती हैं, पर गीता हमें सिखाती है कि अतीत के बोझ में फंसकर वर्तमान का प्रकाश कैसे खोना नहीं चाहिए। चलो, इस सफर में मैं तुम्हारे साथ हूँ।

शर्मिंदगी के बाद भी उठ खड़े होने का साहस
साधक, जब तुम्हारे मन में गहरी शर्मिंदगी और पछतावे की लहरें उठती हैं, तो समझो कि यह तुम्हारे भीतर जागरूकता की पहली किरण है। तुम अकेले नहीं हो। हर मानव जीवन में ऐसी घड़ियाँ आती हैं जब हम अपने अतीत को लेकर व्यथित होते हैं। परंतु भगवद गीता हमें यही सिखाती है कि अतीत के बोझ को अपने जीवन की प्रगति में बाधा न बनने दो।

समर्पण की शक्ति: अपराधबोध से मुक्ति की ओर पहला कदम
प्रिय शिष्य,
तुम्हारे मन में जो अपराधबोध और शर्मिंदगी के भाव हैं, वे तुम्हें बोझिल और थका देते हैं। यह स्वाभाविक है कि जब हम गलतियों को लेकर खुद को दोषी समझते हैं, तो मन अशांत हो जाता है। परंतु जान लो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति की जिंदगी में ऐसे क्षण आते हैं जब वह अपने कर्मों से घबराता है। आज हम समझेंगे कि भगवान कृष्ण को समर्पण करने से ये भाव कैसे समाप्त हो सकते हैं और मन को कैसे शांति मिलती है।