भोग-विलास की भूल: गीता से सरल जीवन की ओर
साधक, जब मन भोग-विलास की ओर आकर्षित होता है, तब आत्मा की गहराई में एक अनजानी बेचैनी भी जागती है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि संसार के रंग-बिरंगे आवरण हमें मोह लेते हैं। परंतु गीता हमें सिखाती है कि असली सुख और शांति बाहर नहीं, भीतर है। चलिए, इस उलझन को गीता के प्रकाश में समझते हैं।