🎯 मज़ा और अनुशासन: छात्र जीवन का सजीव संतुलन
साधक,
तुम्हारी उलझन बिल्कुल स्वाभाविक है। छात्र जीवन में आनंद और अनुशासन दोनों का होना ज़रूरी है। मज़ा बिना अनुशासन के बिखराव ला सकता है, और अनुशासन बिना मज़े के जीवन सूना हो सकता है। चलो, भगवद गीता की अमूल्य शिक्षाओं से इस संतुलन को समझते हैं।