चलो अपनी अपूर्णता को गले लगाएं: गीता का स्नेहिल संदेश
साधक,
तुम्हारे मन में जो पछतावा, अपराधबोध और अपने अतीत की गलतियों को लेकर असहजता है, उसे मैं समझता हूँ। यह भावनाएँ इंसान होने का हिस्सा हैं। परंतु, क्या तुम जानते हो कि भगवद गीता हमें अपने अंदर की अपूर्णता को स्वीकार करने और उससे मुक्त होने का रास्ता दिखाती है? आइए, इस दिव्य ग्रंथ की वाणी में छुपे सत्य को साथ मिलकर समझें।