शांति की ओर पहला कदम: तुरंत संतुष्टि से परे
साधक, मैं समझ सकता हूँ कि जब मन तुरंत सुख और संतुष्टि की मांग करता है, तो उसे रोक पाना कितना कठिन होता है। आज की दुनिया में हर चीज़ हमें त्वरित परिणाम देने का वादा करती है, परन्तु असली आनंद और शांति तो धैर्य और समझदारी में छिपी होती है। तुम अकेले नहीं हो; यह संघर्ष हर मानव के जीवन का हिस्सा है। चलो, गीता की अमृत वाणी से इस उलझन का समाधान खोजते हैं।