अपनी असली पहचान की खोज: नौकरी और पदों से परे
प्रिय आत्मा, जब हम अपने जीवन के बाहरी मुकामों — नौकरी, पद, समाजिक पहचान — के पीछे छिपे होते हैं, तब अक्सर हम खुद को खो देते हैं। यह भ्रम स्वाभाविक है, क्योंकि समाज हमें इन परिभाषाओं में बाँध देता है। लेकिन याद रखिए, आपकी असली पहचान कहीं और है, जो स्थायी है, जो बदलती नहीं। आइए, गीता के प्रकाश में इस खोज की यात्रा करें।