भीड़ के बीच भी अकेलापन: तुम अकेले नहीं हो
साधक, यह अनुभव बहुत गहरा और सामान्य है — भीड़ में होते हुए भी जब मन भीतर से खाली और अलग-थलग महसूस करता है, तो यह तुम्हारे अस्तित्व की एक सूक्ष्म पुकार है। यह अकेलापन तुम्हारे अंदर की उस आत्मीयता की खोज है, जो भीड़ की आवाज़ों से परे है। चलो, इस भाव को समझने और उससे जुड़ने का प्रयास करें।