अकेलापन जब सोचों का सागर बन जाए — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब अकेलापन मन को घेर लेता है और विचारों का तूफान उठने लगता है, तब यह समझना जरूरी है कि यह मन की एक अवस्था है, जो भी गुज़र जाएगी। तुम इस यात्रा में अकेले नहीं हो, हर मानव के भीतर कभी न कभी यही भाव उमड़ते हैं। आइए, गीता के दिव्य प्रकाश से इस उलझन को समझते हैं।