अकेलापन नहीं, एक नई यात्रा की शुरुआत है
साधक, जब तुमने कुछ हासिल किया है, तब भी अलग-थलग महसूस करना स्वाभाविक है। यह तुम्हारे मन का संकेत है कि तुम्हारा मन अभी भी उस असली जुड़ाव और संतोष की तलाश में है, जो बाहरी उपलब्धियों से नहीं मिलता। यह भावनाएँ तुम्हें खुद से और अपने अस्तित्व से गहरा जुड़ाव बनाने का निमंत्रण हैं।