जब दिल में उठे जलन की लहर, याद रखो तुम अकेले नहीं हो
साधक,
यह जो ईर्ष्या का भाव मन में उठता है, वह मानव हृदय की एक सामान्य अनुभूति है। जब हम अपने करीबी लोगों की उन्नति, सफलता या खुशियों को देखते हैं, तो मन में कभी-कभी जलन उठती है। यह स्वाभाविक है, पर इसका अर्थ यह नहीं कि हम इसी भाव में फंस जाएं। चलो, गीता की अमृत वाणी से हम इस उलझन को समझें और मुक्त हों।