समर्पण की शक्ति: अपराधबोध के बादल छटेंगे
साधक, जब मन अपराधबोध की जकड़न में फंसा होता है, तो ऐसा लगता है जैसे भीतर का प्रकाश बुझ सा गया हो। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर इंसान ने कभी न कभी अपने अतीत की गलती पर पछतावा किया है। पर क्या तुम जानते हो कि सच्चा समर्पण, वह जो निःस्वार्थ और पूर्ण विश्वास के साथ होता है, उस बोझ को कम कर सकता है? आइए, भगवद गीता के प्रकाश में इस उलझन को समझें।