चलो यहाँ से शुरू करें — पछतावे से परे एक नया सफर
साधक, तुम्हारे मन में जो पछतावा है, वह मानवता का एक गहरा अनुभव है। यह बताता है कि तुम्हारे भीतर सुधार और बेहतर बनने की चाह है। जीवन के बीते हुए वर्षों को देखकर दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन याद रखो, हर क्षण एक नया अवसर लेकर आता है। तुम अकेले नहीं हो, हर कोई कहीं न कहीं इस उलझन से गुजरता है। आइए, भगवद गीता के प्रकाश में इस भाव को समझें और उसे जीवन में एक नई ऊर्जा में बदलें।