अतीत की गलती से आज की सीख: तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब हम अपने अतीत की उन भूलों को याद करते हैं जिनसे दूसरों को अनजाने में चोट पहुँची हो, तो मन में पछतावा और अपराधबोध उठना स्वाभाविक है। यह तुम्हारे भीतर की संवेदनशीलता और मानवता का परिचायक है। पर याद रखो, गीता हमें सिखाती है कि अतीत को बदलना संभव नहीं, पर उससे सीख लेकर वर्तमान और भविष्य को सुंदर बनाना हमारे हाथ में है।