spirituality

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सफलता और आध्यात्म: क्या वे एक ही राह के साथी हैं?
प्रिय मित्र, जीवन के इस मोड़ पर जब करियर की सफलता और आध्यात्मिक प्रगति के बीच सवाल उठता है, तो यह स्वाभाविक है कि मन उलझन में पड़ जाए। क्या जो चमक-दमक बाहर दिखती है, वह भीतर की शांति और उन्नति की गारंटी है? चलिए, इस प्रश्न को गीता के अमृत वचन से समझते हैं।

अहंकार: आत्मा के विकास की राह में छुपा अंधेरा
साधक, तुम्हारे मन में उठ रहा यह प्रश्न — "अहंकार क्यों आध्यात्मिक विकास में बाधा डालता है?" — यह बहुत गहरा और महत्वपूर्ण है। अहंकार, जो हमें खुद को सबसे बड़ा समझाता है, असल में हमारी आत्मा के उजियारे रास्ते में एक भारी बादल की तरह छा जाता है। चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। हर आध्यात्मिक यात्री को इस भ्रम से गुजरना पड़ता है। चलो, गीता के प्रकाश में इस जटिल उलझन को समझते हैं।

डर के साये में भी तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब भय तुम्हारे मन में घर कर जाता है, तो लगता है जैसे आध्यात्मिक यात्रा में कहीं कोई कमजोरी है। पर याद रखो, भय कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक संकेत है — तुम्हारे भीतर छुपे हुए प्रश्नों और असमंजस की आवाज़। चलो, भगवद गीता के प्रकाश में इस रहस्य को समझते हैं।