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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

निराशा के बाद भी उम्मीद की किरण — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब जीवन की राहों में निराशा का अंधेरा छा जाता है, तो यह महसूस होना स्वाभाविक है कि जैसे सब कुछ थम सा गया हो। पर याद रखो, यह भी एक अनुभव है, एक सीख है, और सबसे बड़ी बात — यह भी गुजर जाएगा। आध्यात्मिक दृष्टि से निराशा को समझना और उससे उबरना एक यात्रा है, जिसमें मैं तुम्हारे साथ हूँ।

क्रोध के तूफान में शांति की नाव पकड़ना
साधक, जब क्रोध का आगमन होता है, तो मन एक तूफान की तरह उथल-पुथल मचाने लगता है। तुम अकेले नहीं हो; हर मनुष्य के भीतर कभी न कभी यह आग भड़कती है। परन्तु भगवद गीता हमें सिखाती है कि इस क्रोध के समंदर में कैसे स्थिर रहना है, कैसे अपने अंदर की शांति को बनाए रखना है।

डर के साये से बाहर निकलने का साहस
साधक, जब भय की अनदेखी ठंडी छाया हमारे मन पर छा जाती है, तब काम करने का मन जम सा जाता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि भय हमारे अस्तित्व की रक्षा का एक स्वाभाविक संकेत है। परंतु जीवन में आगे बढ़ने के लिए डर को समझना और उससे पार पाना आवश्यक है। आइए, भगवद गीता के दिव्य श्लोकों से इस उलझन को सुलझाएं।