गीता में वर्णित तीन मानसिक अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges
गीता के तीन मानसिक अवस्थाएँ: ज्ञान, सक्रियता और निद्रा समझें
Answer

मन की तीन अवस्थाएँ: गीता के प्रकाश में समझें अपनी अंतरात्मा की भाषा
साधक, जब मन की बात आती है, तो वह कभी स्थिर नहीं रहता। कभी वह शांति में तैरता है, कभी बेचैनी में, तो कभी भ्रम और संघर्ष में उलझा होता है। भगवद गीता ने इस मन के तीन प्रमुख स्वरूपों को बहुत ही सुंदर और गहराई से समझाया है। चलिए, हम उस दिव्य ज्ञान को आपके मन की उलझनों को सुलझाने के लिए खोलते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक:
त्रिविधं नास्ति भावो नाभावो विद्यते भारत |
सत्त्वं रजस्तम इति तीनि भेदानि मनः स्थितानि ||

(भगवद्गीता 14.5)
हिंदी अनुवाद:
हे भारत! मन की तीन अवस्थाएँ हैं — सत्त्व, रजस और तमस। इनके अतिरिक्त कोई और भाव या स्थिति नहीं है।
सरल व्याख्या:
मन की प्रकृति को तीन मुख्य गुणों में बाँटा गया है — सत्त्व (शुद्धता, प्रकाश, शांति), रजस (क्रिया, उत्साह, आकर्षण) और तमस (अंधकार, जड़ता, आलस्य)। ये तीनों गुण हमारे मन के भावों और व्यवहारों को निर्धारित करते हैं।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. सत्त्वगुण — यह मन की वह अवस्था है जहाँ शांति, स्पष्टता और विवेक की ज्योति जलती है। जब मन सत्त्व में होता है, तब हम शांति से निर्णय लेते हैं और स्थिरता का अनुभव करते हैं।
  2. रजोगुण — यह मन की वह अवस्था है जहाँ क्रोध, इच्छा, लालसा और बेचैनी का वास होता है। रजोगुण मन को अशांत और चंचल बनाता है।
  3. तमोगुण — यह मन की वह अवस्था है जिसमें जड़ता, आलस्य, अज्ञानता और भ्रम छाया रहता है। तमोगुण मन को सुस्त और निष्क्रिय कर देता है।
  4. जीवन में इन तीनों का संतुलन — हमें समझना होगा कि ये तीनों गुण मन में रहते हैं, पर हमें सत्त्व को बढ़ावा देना है ताकि मन की शक्ति जाग सके।
  5. आत्मनि जागरूकता — अपने मन की इन अवस्थाओं को पहचानना ही आध्यात्मिक विकास की पहली सीढ़ी है।

🌊 मन की हलचल

शिष्य, जब मन बेचैन होता है, तो वह रजस या तमस में फंसा होता है। तुम्हारे मन में प्रश्न उठते हैं — "मैं क्यों परेशान हूँ?", "क्या मैं कभी शांति पा सकूंगा?" यह स्वाभाविक है। याद रखो, हर मन की प्रकृति में ये तीन अवस्थाएँ आती-जाती रहती हैं। तुम्हें बस उन्हें पहचान कर सत्त्व की ओर लौटना है। यह कठिन नहीं, बस थोड़ा ध्यान और अभ्यास चाहिए।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन! जब भी तुम्हारा मन उलझे, याद रखना कि यह तीन गुण तुम्हारे भीतर हैं। तुम उनका स्वामी हो। उन्हें अपने अनुसार नियंत्रित करो। सत्त्व को बढ़ाओ, रजस और तमस को कम करो। तब तुम्हें शांति और शक्ति दोनों मिलेंगी। डरना नहीं, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नदी के किनारे तीन पत्थर थे — एक चमकीला और साफ़ (सत्त्व), एक धूल से ढका और थोड़ा खुरदरा (रजस), और एक गंदगी से भरा और ठहरा हुआ (तमस)। जैसे-जैसे पानी बहता रहा, चमकीला पत्थर साफ और सुंदर दिखता रहा, धूल वाला पत्थर कभी-कभी साफ होता तो कभी धूल से ढक जाता, और गंदगी वाला पत्थर जड़ता में पड़ा रहा। तुम्हारा मन भी ऐसा ही है — उसे बहते पानी की तरह साफ़ और चमकदार बनाना है।

✨ आज का एक कदम

आज ध्यान लगाकर अपने मन की तीन अवस्थाओं को पहचानने का प्रयास करो। जब भी कोई भावना आए, सोचो — क्या यह सत्त्व है, रजस है या तमस? इसे लिखो और समझो कि कब मन किस गुण में है। यह जागरूकता तुम्हें मन पर नियंत्रण देगी।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने मन की वर्तमान अवस्था को पहचान पा रहा हूँ?
  • मैं किस गुण को बढ़ावा देना चाहता हूँ और क्यों?

🌼 मन की शांति की ओर पहला कदम
साधक, याद रखो, मन की ये तीन अवस्थाएँ तुम्हारी शक्ति हैं, तुम्हारे अनुभव हैं। इन्हें समझो, स्वीकार करो और सत्त्व के प्रकाश की ओर बढ़ो। तुम अकेले नहीं, यह यात्रा हर आत्मा की है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर।
शुभकामनाएँ और सदैव जागरूक रहो।

390
Meta description
गीता में तीन मानसिक अवस्थाएं—सत्त्व, रजस, और तमस—के बारे में बताया गया है, जो व्यक्ति के व्यवहार और सोच को प्रभावित करती हैं।