अहंकार के जाल से मुक्त होने का मार्ग: चलो शांति की ओर कदम बढ़ाएं
साधक, अहंकार की जंजीरों में फंसे मनुष्य का जीवन अक्सर संघर्ष और पीड़ा से भर जाता है। यह अहंकार ही है जो हमें दूसरों से अलग, श्रेष्ठ या कभी-कभी हीन महसूस कराता है। लेकिन भगवद गीता हमें बताती है कि इस अहंकार के चक्र को कैसे तोड़ा जाए और वास्तविक शांति और आत्म-ज्ञान की ओर बढ़ा जाए।
🕉️ शाश्वत श्लोक
अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः |
मम बुद्धिर्योगमेतदेतज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ||
(भगवद गीता, अध्याय 16, श्लोक 4)