क्रोध की लहरों में शांति का दीपक जलाएं
साधक,
जब मन में क्रोध और प्रतिशोध की आग जलने लगती है, तब ऐसा लगता है जैसे हमारे भीतर तूफान उमड़ रहा हो। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर मानव के मन में कभी न कभी ये भाव आते हैं। भगवद गीता हमें इस आंधी से बाहर निकलने का मार्ग दिखाती है — एक ऐसा मार्ग जहाँ क्रोध की जगह शांति और समझदारी आती है।