धैर्य की मूरत: बीच के सफर में भी भरोसा रखो
साधक, जीवन के बीच के उन अनिश्चित और अस्पष्ट चरणों में जब सब कुछ धुंधला सा लगता है, तब धैर्य रखना सबसे बड़ा संघर्ष होता है। तुम्हारा मन बेचैन है, सवालों की बाढ़ है, और खुद को खोया हुआ महसूस कर रहे हो। जान लो, तुम अकेले नहीं हो। हर महान यात्रा के बीच में ऐसा ही होता है। चलो, गीता के उस अमृत श्लोक से शुरुआत करते हैं जो तुम्हारे मन के इन सवालों को सुलझाएगा।