क्षमा की अमृतधारा: तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब मन पापों और बीते कर्मों के बोझ से दबता है, तब लगता है जैसे जीवन में कोई रास्ता नहीं बचा। पर याद रखो, कृष्ण की माया में भी एक अपार दया और क्षमा का सागर है, जो हर पाप को धो सकता है। तुम अकेले नहीं हो, हर मनुष्य अपने अतीत की गलियों से गुजरता है, और हर गलती में सुधार का बीज छुपा होता है। चलो, इस दिव्य संवाद से उस आशा की किरण को पाकर आगे बढ़ें।