भावनाओं के तूफान में शांति की नाव पकड़ना
साधक, जब जीवन के संघर्षों की लहरें हमारे मन को घेर लेती हैं, तब भावनाएँ जैसे किसी उथल-पुथल भरे समुंदर में नाव की तरह हो जाती हैं। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मनुष्य के भीतर यह संघर्ष होता है, और भगवद् गीता हमें इसका समाधान देती है — कैसे अपने भीतर की आग को शांत कर, समझदारी और धैर्य से आगे बढ़ा जाए।