भावनाओं की लहरों में स्थिर रहना — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब बाहर की दुनिया के तूफान हमारे मन के समुद्र में उठते हैं, तब संतुलन बनाए रखना कठिन लगता है। यह स्वाभाविक है कि जब लोग हमें भावनात्मक रूप से उत्तेजित करते हैं, तो हमारी आंतरिक शांति पर संकट आता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर आत्मा इस संघर्ष से गुजरती है। आइए, गीता के शाश्वत प्रकाश से हम इस उलझन का समाधान खोजें।